अर्थ की गरिमा ,
जब रूह तक ,
समा जाती है,,
एक पल के लिए ही सही,,,
तब रूह कांप जाती है।

अंतर मन में,
उठती है
अनुरूप सब्दो के कुछ हलचल,
अच्छा होता ,,,
कुछ शिलशिले,,
नि:शब्द निपट जाते,,
ख़ुशी तक तो ठीक है,,,,
वेदना में जान निकल जाती है।।

अर्थ की गरिमा,,,,
एक पल के लिए ही सही,
तब रूह कांप जाती है