अर्थ की गरिमा ,
जब रूह तक ,
समा जाती है,,
एक पल के लिए ही सही,,,
तब रूह कांप जाती है।
अंतर मन में,
उठती है
अनुरूप सब्दो के कुछ हलचल,
अच्छा होता ,,,
कुछ शिलशिले,,
नि:शब्द निपट जाते,,
ख़ुशी तक तो ठीक है,,,,
वेदना में जान निकल जाती है।।
अर्थ की गरिमा,,,,
एक पल के लिए ही सही,
तब रूह कांप जाती है
अर्थ
Satish Sen Balaghati
(C) All Rights Reserved. Poem Submitted on 05/27/2019
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