मैं नहीं था वो कोई और ही रहा होगा

तुझको देखे बिना एक पल जिसे आराम न था
जिसका तेरे सिवा दुनिया में कोई काम न था

तेरे पाँवों की आहटों से चौंक जाता था
तेरे दामन की ख़ुशबुओं से महक जाता था

तेरे ख़्वाबों से जिसकी नींद मचल जाती थी
आँख ही आँख में हर रात निकल जाती थी

वो मुहब्बत की फ़िज़ाओं में गुज़ारे लम्हे
तूने सौंपे जिसे मासूम कुँआरे लम्हे

कुछ इशारा तेरी नज़रों ने कर दिया होगा
जिसने घबरा के तेरे हाथ को छुआ होगा

दिल जला कर के सरेआम रख दिया होगा
जिसने ग़म में तेरे दीवान लिख दिया होगा

मैं नहीं था वो कोई और ही रहा होगा