अब वो ना एक घर मे सिमट कर रह जाने वाली है ,
अपने पेरों पर खड़ा होने का जुनून है उसमे
क्यौंकि ये आज की नारी है।

अपने सपनो को फूलों सा महकता रखने वाली माली है,
अब घुटने नही देगी अपनी उमीदो का गला कभी
क्योंकि ये आज की नारी है।

ठोस रिवाजों की नही दिल की अवाज़ सुनने वाली है,
कमरे की केद से अज़ाद है अब
क्योंकि ये आज की नारी है।

दूसरो के लिए जीती थी जो वो अब खुद के लिए जीने वाली है,
खुद को खुश रखना है उसे अब,
क्योंकि ये आज की नारी है।

उमीदो के पंखो से वो अब शिखर छु जाने वाली है,
पुरानी बेड़ियौ से अज़ाद हो चुकी वो
क्योंकि ये आज की नारी है।
क्योंकि ये आज की नारी है।

अब झुकने नही देगी अपने ओहदे को कभी,
अपनी जिन्दगी को अपनी शर्तो पर जीयेगी वो,
कल तक थी जो शाम सी भुझी,
अब सूरज बनकर चमकेगी वो।
अब सूरज बनकर चमकेगी वो।

आज एक नारी सब पर भारी है,
क्योंकि ये आज की नारी है।
क्योंकि ये आज की नारी है।