तेरी नज़र का ऐसा है जादू चढ़ा हुआ
कि मैकदे की छत पे है साधु चढ़ा हुआ

फिर किस तरह से कर सके इज़हारे दिल कोई
कि हो न जाए इस तरह आज़ारे दिल कोई

दौरा-ए-ख़ूँ है जिस तरह दिल का बढ़ा हुआ
तेरी नज़र का ऐसा है जादू चढ़ा हुआ...

पीना ख़राब है ये पिलाना ख़राब है
ज़ालिम शराब है बड़ी ज़ालिम शराब है

है झूठ सब देखा सुना लिक्खा पढ़ा हुआ
तेरी नज़र का ऐसा है जादू चढ़ा हुआ...