दिल है आषाढ़ में आँगन की तरह
काश आ जाए तू सावन की तरह

तेरी यादों से मेरी तनहाई
रोज़ मिलती है हमवतन की तरह

मुझको छू कर के ठहर जाती हैं
ये हवाएँ तेरी छुअन की तरह

जाने किस वास्ते भटकती है
ज़िंदगी बावरी जोगन की तरह

देख पाऊँ मैं आर-पार तेरे
तेरा मन भी हो मेरे मन की तरह

दिल में एक टीस राज करती है
पेड़ की कोख में नागन की तरह